एक बार की बात है, एक छोटे से कस्बे में राधा नाम की एक लड़की रहती थी। राधा का दिल बेहद कोमल था और वह हमेशा दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहती थी। एक दिन उसे रास्ते में एक घायल पक्षी मिला। पक्षी बहुत देर से दर्द में था, पर राधा ने उसे अपने घर ले जाकर उसकी देखभाल की। धीरे-धीरे पक्षी ठीक होने लगा और उसने फिर से उड़ना शुरू कर दिया।
राधा का यह छोटा सा काम किसी को विशेष नहीं लगा, परंतु राधा को इस बात से एक अनमोल सीख मिली। उसने महसूस किया कि छोटे-छोटे कर्म भी किसी के जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। उसके इस कार्य से प्रेरित होकर उसके मित्र भी जरूरतमंद जीवों की मदद करने लगे।
कुछ समय बाद, उसके कस्बे में एक बड़ा समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में विभिन्न उम्र के बच्चे अपनी-अपनी प्रतिभा दिखा रहे थे। राधा ने सोचा कि क्यों न वह इस मंच का उपयोग औरों को प्रेरित करने के लिए करे। उसने मंच पर आकर पक्षी की कहानी सुनाई और लोगों से निवेदन किया कि वे भी करुणा और प्रेम के छोटे-छोटे बीज बोएँ। राधा की बातों का सभी पर गहरा असर हुआ।
उस दिन के बाद से कस्बे के लोग छोटे-छोटे सद्कर्म करने लगे। किसी ने शहीदों की स्मृति में वृक्षारोपण किया, तो किसी ने वृद्धाश्रम में जाकर बुजुर्गों के साथ समय बिताया। राधा की बातों ने मानो पूरे कस्बे में एक नई चेतना जगा दी थी।
यह कहानी निश्चित रूप से हमें याद दिलाती है कि जब हम छोटे कदम उठाते हैं, तो वे भी कई बार गहरी छाप छोड़ सकते हैं। ऐसा करना हमारे दिल को भी संतोष देता है और हमें भीतर से मजबूत बनाता है। यही कारण है कि हमें अपने मन में करुणा और प्रेम की भावना को हमेशा जीवंत बनाए रखना चाहिए।